सांझी महोत्सव–2025” की प्रगति रिपोर्ट

17 से 21 सितंबर 2025 के मध्य उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं जी.एल.ए. विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “सांझी महोत्सव–2025” का भव्य आयोजन श्रीकृष्ण भक्त रसखान समाधि एवं ताज बीबी उपवन, महावन में आयोजित किया गया।
महोत्सव में ब्रज की प्राचीन सांझी कला परंपरा को सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया।
कलाकार कमलेश्वर, विश्वजीत, बृजमोहन, सुनीता और श्रुति यादव सहित खजानी विमेन्स इंस्टिटयूट, दक्ष एजुकेशन इंस्टिट्यूट और हनुमान प्रसाद पोद्दार बालिका विद्यालय की छात्राओं ने विभिन्न प्रकार की सांझी तैयार कीं। इन साझियों में सूखे व गीले रंगों की सांझी, कैनवास, जल सांझी आदि आकर्षक सांझी बनायी गयीं।
सांझी परंपरा पर आयोजित संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता डॉ. अनीता चौधरी (साहित्यकार) ने ब्रज में सांझी कला के संरक्षण हेतु हो रहे प्रयासों पर अपने विचार रखे। कथा प्रवक्ता व भजन गायिका मोहिनी कृष्णदासी ने सांझी परंपरा के विस्तार और इसके व्यावसायिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला। वहीं गोकुल की प्रवीणा तिवारी ने वल्लभ संप्रदाय के मंदिरों में प्रचलित सांझी परंपरा पर शोधपूर्ण व्याख्यान दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा “सांझी पर नौटंकी” शैली में मंचन प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इस नौटंकी की स्क्रिप्ट ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने लिखी थी तथा निर्देशन संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना का रहा। कार्यक्रम का संयोजन गीता शोध संस्थान के कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने किया था।
आगरा के सीएमएस डॉ. के.सी. धाकड़, धर्मवीर सिंह एवं अन्य चिकित्सक–गायक दल ने मनमोहक भजनों की प्रस्तुति दी। श्यामवीर सिंह छोकर और उनकी पुत्री ने लोकगीतों व भजनों से वातावरण को भावपूर्ण बनाया। नवोदित गायिका नम्रता और मोहिनी कृष्णदासी ने भी भजन गाए। बिहारी शरण के साथी कलाकारों ने राधा–कृष्ण पर आधारित गायन प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया।
सांझी महोत्सव प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से सायं 5 बजे तक चला जिसमें सांझी देखने वालों का तांता लगा रहा। सायं 4 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखने लोग उमडते रहे।
महोत्सव में ब्रजभाषा कवि सम्मेलन हुआ जिसमें कवि राधा गोविंद पाठक, के सी गौड, अटल चतुर्वेदी, अर्चना चतुर्वेदी, सत्य प्रकाश सोटा नंद और अशोक यज्ञ ने कविताएं प्रस्तुत कीं। अन्य कलाकार, संगीतज्ञ और सांझी शिल्पकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
यह आयोजन ब्रज की लोक कलाओं के संरक्षण एवं नई पीढ़ी में सांस्कृतिक चेतना जगाने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल सिद्ध हुआ।