03 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्म स्थान के लीला मंच पर श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान और उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में गीता जयंती मनायी गयी। इसमें गीता विद्वान श्री धीरेन्द्र शास्त्री ने गीता के उन रहस्यों का वर्णन किया जिन्हे जानने की हर किसी को उत्सुकता बनी रहती है। इस मौके पर पर्यटन अधिकारी श्री डीके शर्मा, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा, परिषद के सहायक अभियंता श्री आर पी यादव और गीता शोध संस्थान के समन्वयक श्री चंद्र प्रताप सिकरवार, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल श्री कपिल शर्मा, संस्थान के सदस्य श्री गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी, सुरक्षा अधिकारी विजय बहादुर सिंह आदि उपस्थित रहे।

अगले दिन 04 दिसंबर को गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में गीता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें गौरांग इंस्टीट्यूट आफ वैदिक एजूकेशन के अध्यक्ष डा. वृंदावन चंद्र दास, श्री कपिल देव उपाध्याय, डा. अशोक विश्वमित्र, श्री सेवानंद ब्रह्मचारी, महामंडलेश्वर कृष्णानंद महाराज, आचार्य वद्रीश, श्रीकांत श्रीजी, डा. केसी यदुवंशी, श्री हरिबाबू ओम, वृंदावन शोध संस्थान के सहायक निदेशक डा. एस पी सिंह, स्वामी सत्यमिंत्र, श्री चंद्र प्रकाश शर्मा, श्री गोपाल उपाध्याय गोप,श्रीमती सुमन पाठक, श्री लक्ष्मी नारायण तिवारी ने गीता पर विचार रखे। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा ने गीता के महत्व पर प्रकाश डाला। डा. राम दत्त मिश्र व डा. रश्मि वर्मा ने संचालन किया। गीता शोध संस्थान के समन्वयक श्री चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने अतिथि स्वागत व आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में सहायक अभियंता आर पी यादव, दूधनाथ सिंह, प्राचार्य डा. वेद प्रकाश शर्मा, डा. रश्मि वर्मा व श्री दीपक शर्मा आदि मौजूद रहे। उपस्थित लोगों को स्वामी अड़गड़ानंद महाराज की लिखी गीता और गीता शोध संस्थान के लिए प्रकाशित मासिक पत्रिका ब्रज लोक संपदा की प्रतियां भेंट कीं गयीं।