उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद सभागार में “मध्य कालीन ब्रज भक्ति साहित्य का पुनरावलोकन” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में मंथन

मथुरा। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के तत्वावधान में परिषद सभागार में ‘मध्यकालीन ब्रज भक्ति साहित्य का पुनरावलोकन’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी जी ने कहा कि खुशी है कि आज उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद ब्रज को पूर्णतः समर्पित भाव से संवार रही है।
मुख्य अतिथि उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री शैलजाकांत मिश्र ने महान संत देवरहा बाबा का स्मरण करते हुए बताया कि महाराज जी ने पहले ही कह दिया था कि भारत एक दिन विश्व का सिरमौर बनेगा और इसकी शुरुआत वृंदावन से ही होगी।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रारंभ में उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री एस बी सिंह ने बताया कि ब्रज की सांस्कृतिक धरोहरों की पुनर्प्रतिष्ठा का संकल्प लेकर परिषद समूचे ब्रज के लीला स्थल, कुंड व वनों आदि को संवारने के संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है।
संचालन हंसराज कालेज दिल्ली के प्रोफेसर डा. नृत्य गोपाल शर्मा ने किया। ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा, जय किशोर शरण, साहित्यकार नटवर नागर, स्वामी हरिदास संप्रदाय के ललित बिहारी गोस्वामी, दिल्ली विवि के प्रो. चंदन कुमार, वृंदावन के सुकृत गोस्वामी, वृंदावन शोध संस्थान के राजेश शर्मा आदि साहित्यकारों ने विचार रखे। श्री अशोक अज्ञ ने सरस्वती वंदना का गायन किया।
के आर कालेज के संस्कृत के विभागाध्यक्ष डॉ रामदत्त मिश्रा ने गर्ग संहिता में ब्रज भक्ति पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। दिल्ली के विश्वविद्यालय के डॉ विजय कुमार मिश्रा, साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय ने भगवत रसिक पर प्रकाश डाला।
अंत में परिषद के उपाध्यक्ष श्री शैलजाकांत मिश्र और सीईओ एस बी सिंह ने वक्ताओं को प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र, भेंट कर सम्मानित किया। श्री सिंह ने सभी वक्ता और श्रोता साहित्यकार व अन्य गणमान्य का आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का संयोजन और समन्वय क्रमश: ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा व गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के कोर्डीनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार समेत परिषद के अन्य पदाधिकारीगण ने किया।


राष्ट्रीय संगोष्ठी में परिषद के डिप्टी सीईओ सतीश चंद्र, पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा, तकनीकी सलाहकार आर के जायसवाल, पूर्व विधायक हुकुम चन्द्र तिवारी, डा विनोद बनर्जी, साहित्यकार दिनेश पाठक शशि, गीता मर्मज्ञ महेश चंद्र शर्मा, डॉ. रमाशंकर पांडेय, गीता शोध संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना, लेखिका श्रीमती (डॉ.). अनीता चौधरी, श्री के.के. शर्मा, नीतू गोस्वामी, प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी, डा अनिल चतुर्वेदी, एस पी सुरक्षा श्री चौरसिया, प्राचार्य सतीश चंद्र मिश्र, डा देव प्रकाश शर्मा, डा नटवर नागर, अनूप शर्मा आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।